बारिश नकदी फसलों के लिए वरदान साबित होगी। वहीं, सेब के लिए चिलिंग ऑवर्स पूरे हो गए हैं। विशेषज्ञों ने बागवानों को बारिश के बाद सेब के पेड़ों में हल्की काटछांट करने और समय रहते खाद डालने की सलाह दी है।
हिमाचल में हाल ही में हुई बारिश नकदी फसलों के लिए वरदान साबित होगी। वहीं, सेब के लिए चिलिंग ऑवर्स पूरे हो गए हैं। विशेषज्ञों ने बागवानों को बारिश के बाद सेब के पेड़ों में हल्की काटछांट करने और समय रहते खाद डालने की सलाह दी है। वहीं, खेतों में नमी सूखने के कारण नकदी फसल सहित गेहूं, लहसुन, मटर और जौ को भी बारिश की बहुत जरूरत थी। अब बारिश होने से इन फसलों को संजीवनी मिल गई है। इसके अलावा बारिश से गुठलीदार फलों की सेटिंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका जाहिर की जा रही है। बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि प्लम के पौधों पर इन दिनों भरपूर फूल खिले हुए हैं। बारिश-बर्फबारी से पारा लुढ़कने के कारण सेटिंग के लिए तापमान अनुकूल नहीं है।
सेब के पेड़ों के 900 घंटे के चिलिंग ऑवर (जरूरत की ठंड) पूरे हो गए हैं। बागवानी विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि बारिश के बाद बागवान सेब के पेड़ों में हल्की काटछांट कर लें और समय रहते खाद डाल लें। बगीचों में नमी बनाए रखने के लिए तौलियों में खाद डालकर मिट्टी की परत से ढक लें और वैज्ञानिक तरीके से मल्चिंग (खुली मिट्टी को ढकने की प्रक्रिया) कर लें। इससे प्रदेश के विभिन्न भागों खासकर सेब उत्पादक क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी के बाद से सेब के बगीचों में नमी बनी रह सकेगी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सेब की जरूरत के 900 घंटे चिलिंग ऑवर पूरे हो चुके हैं, जोकि सेब के लिए उपयुक्त माने जा रहे हैं। बताते हैं कि औसतन तापमान 7.5 डिग्री सेल्सियस तक रहते हुए चिलिंग ऑवर गिने जाते हैं। औसतन तापमान ज्यादा नीचे भी नहीं रहना चाहिए। बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज कहते हैं कि मार्च में सेब के पेड़ों में हल्की काटछांट बागवान कर सकते हैं। इसके साथ ही बगीचों में नमी रहते हुए गोबर, केंचुआ या 15:15:15 खाद डाल सकते हैं। बगीचों में खाद डालने के बाद तौलिये को मिट्टी की बारीक परत से ढक लें। इसके साथ ही तौलियों में सूखी घास या प्लास्टिक की मल्चिंग कर लें।